चमगादड़ रात्रि में पराश्रव्य ध्वनि उत्पन्न करके एक निश्चित दिशा में उड़ते है यदि उनके उड़ने की दिशा में अवरोध है तो उस अवरोध से यह पराश्रव्य ध्वनि टकराकर लोटेंगी। टकराकर लौटने वाली इस पराश्रव्य ध्वनि को चमगादड़ सुनते है। जिससे उन्हें पता चल जाता है कि आगे अवरोध है इस प्रकार अवरोध का पता चलने पर वे अपनी गति की दिशा बदल लेते है। इस प्रकार चमगादड़ रात्रि के अँधेरे में भी उड़ सकते है।
चमगादड़ रात्रि के अँधेरे में भी कैसे उड़ सकते हैं?
DsGuruJi Homepage | Click Here |