खनिज लवण अकार्बनिक पदार्थ हैं। मानव शरीर में कम-से-कम 29 तत्व पाए जाते हैं। यद्यपि खनिज से ऊर्जा प्राप्त नहीं होती है, परन्तु इनकी आवश्यकता शरीर की विभिन्न अभिक्रियाओं के लिए होती है।
खनिज लवण के कार्य:
- लवणों के आयनों के कारण जीवद्रव्य में विद्युत चालकता होती है। इसी से जीवद्रव्य में संवेदनशीलता होती है।
- अनेक रासायनिक प्रतिक्रियाओं में आयन बंधकों का कार्य करते हैं।
- कई ऊतक, रक्त, हड्डियों, दाँतों आदि की रचना में ये भाग लेते हैं।
- हृदय स्पंदन चेता संवाहन, पेशी संकुचन आदि में ये महत्वपूर्ण भाग लेते हैं।
मानव शरीर के लिए आवश्यक खनिज:
सोडियम Sodium (Na)
यह मुख्ततः कोशिका बाह्य द्रव में धनायन के रूप में होता है तथा यह निम्नलिखित कायाँ से सम्बद्ध होता है-
- पेशियों का संकुचन
- तंत्रिका तंतु में तंत्रिका आवेग का संचरण तथा
- शरीर में धनात्मक विद्युत अपघट्य संतुलन बनाए रखना
- यह रक्त दाब नियंत्रित रखने में सहायक होता है।
स्रोत:सोडियम का मुख्य स्रोत साधारण नमक, मछली, अण्डे, माँस, दूध आदि हैं।
दैनिक आवश्यकता:2.5g प्रतिदिन
पोटेशियम Potassium (K)
यह सामान्यतः कोशिका द्रव्य में धनायन के रूप में पाया जाता है। यह लगभग सभी खाद्य पदार्थों में उपस्थित रहता है। यह निम्न अभिक्रियाओं के लिए आवश्यक है-
- कोशिका में होने वाली अनेक अभिक्रियाएँ
- पेशीय संकुचन
- तंत्रिका आवेग का संचरण
- शरीर में विद्युत अपघट्य संतुलन को बनाए रखना
कैल्सियम Calcium (Ca)
यहविटामिन Dके साथ हड्डियों तथा दाँतों को दृढ़ता प्रदान करता है। यह रुधिर के स्कन्दन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पेशीय संकुचन प्रक्रिया से सम्बद्ध होता है। यह पनीर, दूध, अण्डे, हरी सब्जियाँ, साबुत अन्न, चना, रागी, मछली, कसावा आदि में मुख्य रूप से पाया जाता है। मनुष्य के लिए कैल्सियम कीदैनिक आवश्यकतालगभग1.2 gहै।
फॉस्फोरस Phosphorus (P)
यह मानव शरीर के लिए एक आवश्यक तत्व है। यह कैल्सियम से सम्बद्ध होकर दाँतों तथा हड्डियों को दृढ़ता प्रदान करता है। यह शरीर के तरल पदार्थों के संरचनात्मक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। यह वसा एवं कार्बोहाइड्रेट के पाचन में सहायता करता है। हड्डियों के विकास के लिए फॉस्फोरस अत्यन्त आवश्यक है। दूध, पनीर, हरी पतेदार सब्जियाँ, बाजरा, रागी, जई, ऑटा, कलेजी, गुर्दे आदि फॉस्फोरस प्राप्ति के मुख्य स्रोत हैं। मानव शरीर के लिए इसकी दैनिक आवश्यकता लगभग 1.2 g है।
लौह Iron (Fe)
लोहालाल रुधिर कणिकाओं (RBC)मेंहीमोग्लोबिनके बनने के लिए आवश्यक है। दूसरे शब्दों में, लौह लवण से रक्त का हीमोग्लोबिन बनता है जो शरीर में ऑक्सीजन का संवाहक है। लोहे की कमी के परिणामस्वरूप रक्त की यह क्षमता कम हो जाती है, जिसे अरक्तता कहते हैं। लौह लवण की कमी अधिकांशतया बालकों तथा महिलाओं में पायी जाती है। इसकी कमी से शरीर में क्षीणता आती है तथा अत्यधिक थकान महसूस होती है। अरक्तता की तीव्र अवस्था में ऑखों के सामने अँधेरा छा जाना, चक्कर आना, भूख नहीं लगना इत्यादि लक्षण पाये जाते हैं। यकृत लौह का सर्वोत्तम स्रोत है। इसके अतिरिक्त अण्डा, पालक, मेथी, अनाज, मेवे इत्यादि में भी लौह तत्व पाया जाता है। एक वयस्क व्यक्ति को एक दिन में लगभग20 mg लोहाआवश्यक होता है। लोहा ऊतक ऑक्सीकरण के लिए भी आवश्यक है।
आयोडीन Iodine (I)
यह थॉयरायड ग्रन्थि द्वारा स्रावित थॉयरॉक्सिन (Thyroxine) हार्मोन के संश्लेषण के लिए आवश्यक है। इसकी कमी से घेघा या गलगण्ड (Goitre) नामक हीनताजन्य रोग हो जाता है। गलगण्ड के बाद क्रेटनिज्म (Cretnism) की अवस्था आती है जिससे प्रभावित व्यक्ति में शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होने लगता है। इससे उसका तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित होता है। आयोडीन का मुख्य स्रोत समुद्री मछली, समुद्री भोजन, हरी पतेदार सब्जियाँ, आयोडीन युक्त नमक आदि हैं।
जल Water (H2O)
जल मानव आहार का एक महत्वपूर्ण भाग है। मानव शरीर के भार का लगभग 65-75% भाग जल होता है। उल्टी (वमन) तथा अतिसार से मानव शरीर में जल की कमी हो जाती है। इस अवस्था कोनिर्जलीकरण (Dehydration)कहते हैं। निर्जलीकरण से मनुष्य की मृत्यु तक हो सकती है। जल मानव शरीर के ताप को स्वेदन (पसीना) तथा वाष्पन द्वारा नियंत्रित रखता है। यह शरीर के अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन का महत्वपूर्ण माध्यम है। शरीर में होने वाली अधिकतर जैव रासायनिक अभिक्रियाएँ जलीय माध्यम में सम्पन्न होती हैं। यह एक अच्छा विलायक है। यह शरीर की सभी कोशिकाओं का महत्वपूर्ण घटक है। सामान्यतः वयस्क व्यक्ति को औसतन 4-5 लीटर जल प्रतिदिन पीना चाहिए।
सन्तुलित आहारBalanced Diet
वह आहार जिसमें शरीर की वृद्धि एवं स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक सभी पोषक पदार्थ एवं तत्त्व निश्चित अनुपात में उपस्थित हों, सन्तुलित आहार कहलाता है। यह व्यक्ति की आयु, लिंग, स्वास्थ्य एवं व्यवसाय पर निर्भर करता है। सामान्यतः एक सामान्य कार्य करने वाले औसत युवा मनुष्य को 3000 से 3500 कैलोरी ऊर्जा उत्पन्न करने लायक भोजन की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भोजन में लगभग 90 ग्राम प्रोटीन, 400 से 500 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 50 से 70 ग्राम वसा तथा अन्य आवश्यक तत्वों का होना आवश्यक है। बाल्यावस्था में जब वृद्धि तेज होती है तब अपेक्षाकृत अधिक भोजन की आवश्यकता होती है। जबकि प्रौढ़ावस्था में अपेक्षाकृत कम भोजन की आवश्यकता होती है। पुरुष और बालकों को स्त्रियों तथा बालिकाओं की तुलना में अधिक भोजन चाहिए। इसी प्रकार शीतकाल या ठण्डी जलवायु में ग्रीष्मकाल या गर्म जलवायु की तुलना में अधिक भोजन की आवश्यकता होती है। जो व्यक्ति अधिक परिश्रम करते हैं और सक्रिय जीवन व्यतीत करते हैं, उनके भोजन की मात्रा अधिक होनी चाहिए।
अल्पपोषणUnder Nutrition
लम्बी अवधि तक भोजन की मात्रा कम लेने से उत्पन्न स्थिति को अल्प पोषण कहते हैं।
अतिशय पोषणOver Nutrition
लम्बी अवधि तक अत्यधिक भोजन लेने से उत्पन्न स्थिति कोअतिशय पोषणकहते हैं। इसके परिणामस्वरूप मोटापा, धमनी काठिन्य रक्त सम्बन्धी विकार, मधुमेह आदि हो जाते हैं।
असन्तुलित आाहारUnbalanced Diet
जब आहार में कुछ पोषक अधिक मात्रा में तथा कुछ अन्य पोषक नगण्य मात्रा में उपस्थित रहते हैं तब ऐसा आहार असंतुलित आहार कहलाता है।
विशिष्ट पोषक तत्व की कमी-आहार में किसी पोषक विशेष की कमी अथवा अभाव होने से विशिष्ट हीनताजन्य विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
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