अधिक ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी होती है फिर भी ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों के निवासी बड़ी सक्रियता से जीवन की गतिविधियाँ कर लेते हैं क्योंकि ऐसे क्षेत्र के निवासी अधिक ऊँचाई के प्रति अनुकूलित हो जाते है।इनकी वक्षगुहा का आयतन अधिक होता है जिससे इनके फेफड़ों के वायुकोषों का सतही क्षेत्र अधिक हो जाता है।इनके रुधिर में लाल रुधिर कणिकाओं की संख्या अधिक होती है तथा ऊतकों के मध्य अपेक्षाकृत अधिक सघन कोशिका जाल होता है। परिश्रम करने से उनकी पेशियों में कम केशिका किण्वन होता है और नाइट्रिक एसिड की मात्रा कम बनती है अतः इन्हें श्रम से होने वाली थकान को दूर करने के लिये कम ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी होती है फिर भी पहाड़ों पर रहने वाले व्यक्ति बड़ी सक्रियता से अपने जीवन की गतिविधियाँ कैसे कर लेते हैं?
DsGuruJi Homepage | Click Here |