भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Isro) ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (Nasa) के साथ संयुक्त पृथ्वी निगरानी उपग्रह मिशन के लिए रडार का विकास पूरा कर लिया है। इसरो ने एक सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) विकसित किया है, जो मिशन के लिए बेहद उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरे लेने में सक्षम है।
NASA-ISRO SAR (NISAR) पृथ्वी अवलोकन के लिए दोहरी आवृत्ति L और S- बैंड SAR के लिए एक संयुक्त सहयोग है। Nasa (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के अनुसार, NISAR हमारे ग्रह की सतह में एक सेंटीमीटर से भी कम परिवर्तनों को मापने के लिए दो अलग रडार आवृत्तियों (L-बैंड और S-बैंड) का उपयोग करने वाला पहला उपग्रह मिशन होगा ।
नासा और बेंगलुरु मुख्यालय वाले इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने NISAR को सहयोग करने और लॉन्च करने के लिए 30 सितंबर 2014 को एक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए।
मिशन को चेन्नई के उत्तर में लगभग 100 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्षयान से 2022 के आरंभ में लॉन्च करने का लक्ष्य है।
इसरो मिशन के लिए स्पेसक्राफ्ट बस, एस-बैंड राडार, लॉन्च वाहन और संबंधित लॉन्च सेवाएं प्रदान कर रहा है, जिसका लक्ष्य उन्नत रडार इमेजिंग का उपयोग करके भूमि की सतह के परिवर्तनों के कारणों और परिणामों का वैश्विक माप करना है।
NISAR सैटेलाइट मिशन के एस-बैंड एसएआर पेलोड को अंतरिक्ष विभाग में सचिव और इसरो के अध्यक्ष के सिवान ने 4 मार्च को वर्चुअल मोड के जरिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
इसरो ने कहा कि पेलोड को यूएस के पासादेना में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) में इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC) से भेज दिया गया है।